Sirf Maa Kar Sakti hai – Beautiful Hindi poem for mother

मेरी अभिव्यक्ति
असीमित, अदृश्य, बिना शर्त,
बिना लाभ
जो दे सकता है साथ ,
वह कौन,
कौन हो सकता है!
बिन कहे ,बिन बोले, मस्तक को हाथों में थाम कर चूम ले,
चिंताओं को हर ले,
मुसीबतों को अपने ऊपर बार ले,
वह कौन हो सकता है !
वो कौन कर सकता है!
जन्म से अपने अंत तक,
बिना जताए जो करते जाए
वो कौन हो सकता है ?
वह कौन कर सकता है !
जो उसे, उस दिन से, उस पल से नव रिश्ते में बांधकर जीवन का साथ बना ले ,
वह कौन सा रिश्ता हो सकता है !
संसार के हर रिश्तो में बदलाव की गुंजाइश होती है
कभी धन के कारण,
कभी जायदाद के कारण,
कभी लगाव के कारण,
कभी अकड़ के कारण,
कभी ना छुकने की कसम के कारण,
बदलाव की गुंजाइश होती है
कौन हो सकता है! कौन कर सकता है!
कभी अपने किए का हिसाब ना लिखे,
कभी पैसों की धौंस दिखाएं ,
कभी वक्त बेवक्त की गई बातों को बार-बार याद दिलाएं,
अपने मन को खोलने से पहले संभल जाए ,
अपनी भावनाओं पर रोक लगाए
फिर हालातों को समझकर रुक जाए
वो कौन हो सकता है!
कौन कर सकता है !
वो सिर्फ मां कर सकती है
सिर्फ मां कर सकती है।