Hindi Poem – Vishwa Rangmanch (Earth – The Stage)
Here’s a short poem about the only carnival happening despite the lockdown. Humans are confined to their homes, and the ever confined nature is finally free and the entire world without humans looks like an enormous stage for nature to show its colors.
विश्व रंगमंच ( Earth – The stage )
सारा संसार एक पथ पर आकर रुक जाए,
सारी शक्तियां जब एक ही विचार पर विवश हो जाए,
धुर विरोधी एकजुट होकर साथ विचार करने लग जाएं
बंदूक की गोली, जान बचाने का सामान बन जाए,
बंदूक बनाने के कारखाने जब हाथ साफ करना सिखाए
सैनिटाइजर बनाने लग जाएं,
हवा से बातें करते पहिए थम जाए,
अट्टालिका और झोपड़ी वाले संग संग ताली बजाएं,
आकाश ,जल ,पृथ्वी साफ हो जाएं,
सारी सभाएं, सारीआशाएं,
सारी बातें,
जब जिंदगी की सांसे गिनने लग जाएं,
मौत के नए आंकड़ों से रोज नजरे मिलायें,
फिर भी उम्मीद का एक दीया रोज़ जला
ऐसा समां, दृश्य जीवन में कब कब आता है ,
संपूर्ण धर्मों लोग एक सुर में एक ही पुकार बार -बार दोहराएं ,
विशाल ब्रह्मांड में एक ही स्वर गुनगुनाए,
रक्षा करो! रक्षा करो! रक्षा करो !
नील गगन के नीचे धरती पर बहती नदियां सागर शुद्ध हवा के झोंकों से तृप्त कर जाएं
तथास्तु!
कहकर अपना एहसास.